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गाँव की माटी - दैनिक प्रतियोगिता हेतु 16-Feb-2022


गाँव की माटी का सोंधापन 
मुझको अत्यंत लुभाता है 
माटी में बसा जो अपनापन 
मुझे बड़ा याद आता है। 

जन्म-जन्म का रिश्ता तुझसे 
पाई यह काया भी तुमसे 
चंदन की खुशबू जिससे आती
शहर नहीं वह गाँव की माटी। 

कर देती हर जख्म को दूर 
शेष न रह जाती कोई बीमारी
खेले इस माटी में लोट-लोटकर
लगता जैसे यह माँ हो हमारी। 

जब भी बेटा युद्ध पर जाता 
इस माटी का तिलक लगाता
अपने गाँव की संस्कृति और प्रेम 
गर्व से अपनी आत्मा में बसाता
माटी से जुड़ी हर एक कहानी 
भावुक होकर वह सुनाता है 
गाँव की मिट्टी का सोंधापन 
मुझको अत्यंत लुभाता है। 

शहर में बेटी होती सिर्फ अपनी
गाँव की बेटी कहलाए बेटी सबकी
शादी हो या मातम का अवसर 
प्रेम से सब एकजुट हो जाते
गाँव सदा से अद्भुत परिचय 
भारतीय संस्कृति का करवाते। 
किसान चलाएं खेतों में हल, 
करें धूप में कठिन परिश्रम
चमके माथे पर स्वेद कण
देख मिट्टी से सना उसका तन
सम्मान से सर झुक जाता है 
गाँव की मिट्टी का सोंधापन 
मुझको अत्यंत लुभाता है। 

डॉ. अर्पिता अग्रवाल 
नोएडा, उत्तरप्रदेश

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9 Comments

Nand Gopal Goyal

16-Feb-2022 04:17 PM

अच्छी कविता

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Ayaansh Goyal

16-Feb-2022 04:13 PM

अच्छी कविता

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Dr. Arpita Agrawal

16-Feb-2022 04:14 PM

धन्यवाद 🙏

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Seema Priyadarshini sahay

16-Feb-2022 03:49 PM

बहुत खूबसूरत

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Dr. Arpita Agrawal

16-Feb-2022 04:12 PM

हार्दिक आभार सीमा जी

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